tag:blogger.com,1999:blog-4615066544544881646.post3077587427460313622..comments2023-07-08T15:20:03.282+05:30Comments on नारीवादी-बहस : स्त्रीलिंग-पुल्लिंग विवाद के व्यापक संदर्भmuktihttp://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-4615066544544881646.post-5732709994483883652010-02-06T18:36:55.090+05:302010-02-06T18:36:55.090+05:30" भाषा लोकानुगामिनी होती है"
शायद इसमे ..." भाषा लोकानुगामिनी होती है"<br /><br />शायद इसमे ही आपके प्रश्न का जवाब छुपा है .<br /><br />अंग्रेजी शब्दकोशों में हिन्दी के शब्दों का भी समानुवेश हुआ है .<br /><br />भाषा में मुद्दा लिंगभेद से आगे बढ़कर सरलता का होना चाहिएडॉ महेश सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/18264755463280608959noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4615066544544881646.post-10313848940498986392010-01-04T09:56:58.742+05:302010-01-04T09:56:58.742+05:30main smeer lal jee se shmt hun,is vishy pr charcha...main smeer lal jee se shmt hun,is vishy pr charcha bahut ho chukee ab viram hona chahiye.sadar ...डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4615066544544881646.post-12292015398642551802010-01-04T09:39:04.869+05:302010-01-04T09:39:04.869+05:30good workgood workAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4615066544544881646.post-76718673490269999972010-01-04T09:38:54.817+05:302010-01-04T09:38:54.817+05:30the main question is why every woman who wants to ...the main question is why every woman who wants to talk about woman rights is called naarivadi <br />the question is if the root cause is the wrong selection of words lets try to change the words<br />the question is ARE WE AUTHORIZED TO CHANGE A WORD THAT ORIGINATED IN ENGLISH AS "BLOGGER" AND THEN TRY TO FIND A STRILING WORD FOR IT . <br /><br />who gives us an right to insult a language and hijack a word for the mere pleasure and then when someone raises the voice against it say we were doing it for fun <br /><br />why woman orinted issues even the choice of words is fun muktiAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4615066544544881646.post-13257959965157269792010-01-04T08:19:07.531+05:302010-01-04T08:19:07.531+05:30आपने विषय का अच्छा प्रवर्तन किया और दिनेश जी ने सा...आपने विषय का अच्छा प्रवर्तन किया और दिनेश जी ने सार्थक टिप्पणी ...<br />जेंडर न्यूट्रल शब्द ही शिष्टता की मांग भी हैं -<br />क्या राष्ट्रपति के स्थान पर राष्ट्राध्यक्ष नहीं हो सकता था /सकता ! अब भी !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4615066544544881646.post-85295666458985491372010-01-04T07:17:42.030+05:302010-01-04T07:17:42.030+05:30इस मुद्दे से दीगर इस वक्त एक जरुरी मुद्दा है कि हि...इस मुद्दे से दीगर इस वक्त एक जरुरी मुद्दा है कि हिन्दी का विकास हो.<br /><br /><br /><br /><b>’सकारात्मक सोच के साथ हिन्दी एवं हिन्दी चिट्ठाकारी के प्रचार एवं प्रसार में योगदान दें.’</b><br /><br />-त्रुटियों की तरफ ध्यान दिलाना जरुरी है किन्तु प्रोत्साहन उससे भी अधिक जरुरी है.<br /><br />नोबल पुरुस्कार विजेता एन्टोने फ्रान्स का कहना था कि '९०% सीख प्रोत्साहान देता है.'<br /><br /><b>कृपया सह-चिट्ठाकारों को प्रोत्साहित करने में न हिचकिचायें.</b><br /><br />-सादर, <br />समीर लाल ’समीर’Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4615066544544881646.post-2248054764355115812010-01-04T03:57:59.049+05:302010-01-04T03:57:59.049+05:30एक समस्या यह भी है कि हिन्दी में शब्द या तो स्त्री...एक समस्या यह भी है कि हिन्दी में शब्द या तो स्त्रीलिंग हैं या पुर्लिंग। वहाँ नपुंसकलिंग या द्विलिंगी या लिंगविहीन आप जो भी कहें शब्द हैं ही नहीं। हाँ अनेक शब्दों का प्रयोग अब हम उस रूप में जरूर करते हैं। जैसे आप, तुम शब्द जो बोलचाल में काम आते हैं दोनों के लिए संबोधन बन जाते हैं। अदालती आवेदनों में प्रार्थी यदि कोई महिला होती है तो प्रार्थिया या प्रार्थिनी प्रतिपक्षी होती है तो उसे प्रतिपक्षिनी लिखा जाता है लेकिन मैं पिछले दस वर्षों से भी अधिक समय से प्रार्थी और प्रतिपक्षी शब्द का ही प्रयोग करता हूँ। <br />प्रथम पंक्ति में ही लिखते हैं। प्रार्थी निवेदन करती है। यहाँ करती शब्द से अभिप्राय स्पष्ट हो जाता है। लेकिन यह हिन्दी भाषा के व्याकरण से छेड़छाड़ भी है जिस में शब्दों के इस प्रकार का उपयोग वर्जित हैं अथवा प्रचलन में नहीं है। पर कभी मैं सोचता हूँ कि भाषाएँ तो प्रचलन से विकसित होती हैं। यदि हम शब्दों का उपयोग इस तरह करते रहें तो व्याकरण में नया अध्याय जोड़ना पड़े। हाँ यह भी हो सकता है कि कुछ शब्द हो सकते हैं जो स्त्रीलिंग और पुर्लिंग दोनों का ही बोध कराते हों। उपयोग के अनुसार उन का लिंग तय होता हो। फिर उन की तीसरी श्रेणी बनानी पड़ेगी। इस तरह यह समस्या नारीवाद की नहीं अपितु भाषा की है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com