tag:blogger.com,1999:blog-4615066544544881646.comments2023-07-08T15:20:03.282+05:30नारीवादी-बहस muktihttp://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comBlogger503125tag:blogger.com,1999:blog-4615066544544881646.post-40011691019281450142019-03-19T00:36:08.062+05:302019-03-19T00:36:08.062+05:30Amendment of Section 6 of The Hindu Succession (Am...Amendment of Section 6 of The Hindu Succession (Amendment) Act, 2005 says-<br />-Daughter shall have the same rights in the coparcenary property as she would have had she been a son;<br />-The daughter shall be subject to the same liability in the said coparcenary property as that of a son;<br />-The daughter shall be allotted the same share as is allotted to a son;<br />-The share of the per-deceased son or a per-deceased daughter shall be allotted to the surviving child of such per-deceased son or of such per-deceased daughter;<br />-The share of the per-deceased child of a per-deceased son or of a per-deceased daughter shall be allotted to the child of such per-deceased child of the per-deceased son or a per-deceased daughter.<br /><br />Furthermore, after the commencement of the Hindu Succession (Amendment) Act, 2005, the pious obligation of a son, grandson or great-grandson for the recovery of any debt due from his father, grandfather or great-grandfather under the Hindu law, came to an end<br />...<br />You can see the full article related to this amendment on wikipedia.an if you want to know more details, you can consult with any lawyer. muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4615066544544881646.post-36563054048014970732019-03-19T00:25:29.089+05:302019-03-19T00:25:29.089+05:30बेटों के बीच संपत्ति में बंटवारा लड़ाई की जड़ नहीं ह...बेटों के बीच संपत्ति में बंटवारा लड़ाई की जड़ नहीं है, सिर्फ बेटियों को अधिकार मिलना लड़ाई की जड़ है.muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4615066544544881646.post-79734712920137144002019-03-19T00:24:25.359+05:302019-03-19T00:24:25.359+05:30बिल्कुल ले सकती हैं. आप किसी अच्छे वकील से मिलें. ...बिल्कुल ले सकती हैं. आप किसी अच्छे वकील से मिलें. पैतृक संपत्ति पर आपका अधिकार है और इसे पिता भी नहीं रोक सकते.muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4615066544544881646.post-86952839480495949512019-03-19T00:23:14.837+05:302019-03-19T00:23:14.837+05:30संपत्ति का बंटवारा बेटों के बीच करते हुए यह देखा ज...संपत्ति का बंटवारा बेटों के बीच करते हुए यह देखा जाता है कि वे अपनी पत्नियों या ससुराल से प्रभावित होकर तो अपना हक नहीं मांग रहे हैं? ये सारी शर्तें बेटियों को अधिकार देने के समय ही क्यों लगायी जाती हैं? और मेरा तो यही मानना है कि बेटियों को दहेज़ के बजाय संपत्ति में अधिकार दिया जय. इससे कर्ज लेकर विवाह करने की ज़रूरत ही नहीं रहेगी. यदि पैतृक संपत्ति होगी तो उन्हें मिलेगी नहीं होगी तो नहीं मिलेगी. इससे जो लालची लोग हैं वे लड़कियों के घरवालों के पास आयेंगे ही नहीं. muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4615066544544881646.post-27809163680043659032019-03-19T00:19:16.140+05:302019-03-19T00:19:16.140+05:30दिनेश जी, संयुक्त परिवार की अविभाजित पैतृक संपत्ति...दिनेश जी, संयुक्त परिवार की अविभाजित पैतृक संपत्ति में बेटी का अधिकार तो अविवादित है, पिता द्वारा अर्जित संपत्ति के विषय में मुझे बहुत अधिक जानकारी नहीं है. अच्छा होगा कि इस विषय में आप किसी अधिवक्ता से मिलें. muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4615066544544881646.post-17242608007050030392019-03-19T00:16:17.674+05:302019-03-19T00:16:17.674+05:30विवेक जी, हिन्दू संपत्ति उत्तराधिकार अधिनियम में ह...विवेक जी, हिन्दू संपत्ति उत्तराधिकार अधिनियम में हुए नए संशोधन के बाद बेटियाँ पैतृक संपत्ति में बराबर की हक़दार हैं, लेकिन पिता अपने द्वारा अर्जित की गयी संपत्ति को जिसे चाहें उसे दे सकते हैं. आप अपनी पाटनी से कहिये की वे किसी वकील से मिलें. इसमें आप कुछ नहीं कर सकते क्योंकि संपत्ति में अधिकार बेटी को मिलता है, न कि दामाद को.muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4615066544544881646.post-22410615812715083292019-03-04T19:18:15.484+05:302019-03-04T19:18:15.484+05:30मेरे पिताजी अपने इकलौते बेटे के द्वारा मुक्ति प्रा...मेरे पिताजी अपने इकलौते बेटे के द्वारा मुक्ति प्राप्त करने के लालच में भ्रमित हैं।मेरा व मेरे पति का अपमान करते हैं। उनके पास पैत्रिक क्रषि भूमि UPमें है।क्या मैं अपना हक ले सकती हू,जिससे कि उन्हें अहसास हो कि बेटी भी अपना खून ही हैं।क्रपया राय अवश्य दें। बेटी।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4615066544544881646.post-74651174858271903562019-02-22T19:06:36.285+05:302019-02-22T19:06:36.285+05:30जी है नारीजी है नारीAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4615066544544881646.post-73865598506910584172018-12-11T18:40:53.439+05:302018-12-11T18:40:53.439+05:30Ha
Ha<br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/06029280535226578933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4615066544544881646.post-54408034477247155172018-12-03T15:44:32.514+05:302018-12-03T15:44:32.514+05:30लिखा कभी व्यर्थ नहीं जाता किसी ना किसी को कभी ना क...लिखा कभी व्यर्थ नहीं जाता किसी ना किसी को कभी ना कभी उसकी जरुरत पड़ ही जाती है | देखिये अपने भरनाट्यम के नायक भेद खोजते हुए आप के ब्लॉग और इस पोस्ट पर आ गई | जल्द ही मैं भी इस पर विस्तार में लिखती हूँ समय मिले तो आप भी कुछ कहियेगा आप को जानकारी निश्चित रूप से मुझसे ज्यादा होगी :)anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4615066544544881646.post-12233069211333211542018-11-12T10:51:56.353+05:302018-11-12T10:51:56.353+05:30श्रीरामचरितमानस में कहीं नहीं किया गया है “शूद्रों...श्रीरामचरितमानस में कहीं नहीं किया गया है “शूद्रों” और नारी का अपमान |<br /><br />भगवान श्रीराम के चित्रों को जूतों से पीटने वाले भारत के राजनैतिक शूद्रों को पिछले 450 वर्षों में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित हिंदू महाग्रंथ 'श्रीरामचरितमानस' की कुल 10902 चौपाईयों में से आज तक मात्र 1 ही चौपाई पढ़ने में आ पाई है और वह है भगवान श्री राम का मार्ग रोकने वाले समुद्र द्वारा भय वश किया गया अनुनय का अंश है जो कि सुंदर कांड में 58 वें दोहे की छठी चौपाई है "ढोल गवार सूद्र पशु नारी, सकल ताड़ना के अधिकारी ||"<br /><br />इस सन्दर्भ में चित्रकूट में मौजूद तुलसीदास धाम के पीठाधीश्वर और विकलांग विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री राम भद्राचार्य जी<br />(जो की नेत्रहीन होने जे बावजूद संस्कृत,व्याकरण,सांख्य,न्याय,वेदांत, में <br /> 5 से अधिक GOLD Medal जीत चुकें है | )<br /><br /> महाराज का कहना है कि बाजार में प्रचलित रामचरितमानस में 3 हजार से भी अधिक स्थानों पर अशुद्धियां हैं और इस चौपाई को भी अशुद्ध तरीके से प्रचारित किया जा रहा है | <br /><br />उनका कथन है कि तुलसी दास जी महाराज खलनायक नहीं थे आप स्वयं विचार करें यदि तुलसीदास जी की मंशा सच में शूद्रों और नारी को प्रतारित करने की ही होती तो क्या रामचरित्र मानस की 10902 चौपाईयों में से वो मात्र 1 चौपाई में ही शूद्रों और नारी को प्रतारित करने की ऐसी बात क्यों करते ?<br /><br /> यदि ऐसा ही होता तो भील शबरी के जूठे बेर को भगवान द्वारा खाये जाने का वह चाहते तो लेखन न करते | यदि ऐसा होता तो केवट को गले लगाने का लेखन न करते |<br /> <br /><br />स्वामी जी के अनुसार ये चौपाई सही रूप में <br /> ढोल,गवार,सूद्र,पशु,नारी नहीं <br />बल्कि यह "ढोल,गवार,क्षुब्द पशु,रारी है |<br /><br />ढोल = बेसुरा ढोलक <br />गवार = गवांर व्यक्ति <br />क्षुब्द पशु = आवारा पशु जो लोगो को कष्ट देते हैं <br />रार = कलह करने वाले लोग <br /><br />" चौपाई का सही अर्थ है कि जिस तरह बेसुरा “ढोलक”, अनावश्यक ऊल जलूल बोलने वाला “गवांर व्यक्ति” , आवारा घूम कर लोगों की हानि पहुँचाने वाले (अर्थात क्षुब्द, दुखी करने वाले) पशु और रार अर्थात कलह करने वाले लोग जिस तरह दण्ड के अधिकारी हैं उसी तरह मैं भी तीन दिन से आपका मार्ग अवरुद्ध करने के कारण दण्ड दिये जाने योग्य हूँ | <br /><br />स्वामी राम भद्राचार्य जी जो के अनुसार श्रीरामचरितमानस की मूल चौपाई इस तरह है और इसमें ('क्षुब्द' के स्थान पर 'शुद्र' कर दिया और 'रारी' के स्थान पर 'नारी' कर दिया | <br /><br />भ्रमवश या भारतीय समाज को तोड़ने के लिये जानबूझ कर गलत तरह से प्रकाशित किया जा रहा है |<br /><br />इसे उद्देश्य के लिये उन्होंने अपने स्वयं के द्वारा शुद्ध की गई अलग रामचरित मानस प्रकाशित कर दी है। इसके साथ ही स्वामी राम भद्राचार्य का दावा है कि रामायण में लंका कांड जैसी कोई चीज ही नहीं है। असल में ये युद्ध कांड है जो लंका कांड के नाम से छपा जाता है। स्वामी जी कहते हैं कि संस्कृत की किसी भी रामायण में लंका कांड शब्द का प्रयोग नहीं हुआ है। तुलसीदास जी की सबसे पुरानी चौथी प्रति मानी गई है जो व्यंकटेश प्रेस बम्बई से छपी थी। उसमें भी युद्ध कांड है लंका कांड नहीं है।<br /><br /> रामभद्राचार्य कहते हैं धार्मिक ग्रंथो को आधार बनाकर गलत व्याख्या करके जो लोग हिन्दू समाज को तोड़ने का काम कर रहे है उन्हें सफल नहीं होने दिया जायेगा |<br /><br />आप सबसे से निवेदन है , इस लेख को अधिक से अधिक share करें |<br />तुलसीदास जी की चौपाई का सही अर्थ लोगो तक पहुंचायें हिन्दू समाज को टूटने से बचाएं |Durga Datt Chaubeyhttps://www.blogger.com/profile/10267059875997635024noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4615066544544881646.post-36258808076949042102018-11-12T10:48:07.717+05:302018-11-12T10:48:07.717+05:30श्रीरामचरितमानस में कहीं नहीं किया गया है “शूद्रों...श्रीरामचरितमानस में कहीं नहीं किया गया है “शूद्रों” और नारी का अपमान |<br /><br />भगवान श्रीराम के चित्रों को जूतों से पीटने वाले भारत के राजनैतिक शूद्रों को पिछले 450 वर्षों में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित हिंदू महाग्रंथ 'श्रीरामचरितमानस' की कुल 10902 चौपाईयों में से आज तक मात्र 1 ही चौपाई पढ़ने में आ पाई है और वह है भगवान श्री राम का मार्ग रोकने वाले समुद्र द्वारा भय वश किया गया अनुनय का अंश है जो कि सुंदर कांड में 58 वें दोहे की छठी चौपाई है "ढोल गवार सूद्र पशु नारी, सकल ताड़ना के अधिकारी ||"<br /><br />इस सन्दर्भ में चित्रकूट में मौजूद तुलसीदास धाम के पीठाधीश्वर और विकलांग विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री राम भद्राचार्य जी<br />(जो की नेत्रहीन होने जे बावजूद संस्कृत,व्याकरण,सांख्य,न्याय,वेदांत, में <br /> 5 से अधिक GOLD Medal जीत चुकें है | )<br /><br /> महाराज का कहना है कि बाजार में प्रचलित रामचरितमानस में 3 हजार से भी अधिक स्थानों पर अशुद्धियां हैं और इस चौपाई को भी अशुद्ध तरीके से प्रचारित किया जा रहा है | <br /><br />उनका कथन है कि तुलसी दास जी महाराज खलनायक नहीं थे आप स्वयं विचार करें यदि तुलसीदास जी की मंशा सच में शूद्रों और नारी को प्रतारित करने की ही होती तो क्या रामचरित्र मानस की 10902 चौपाईयों में से वो मात्र 1 चौपाई में ही शूद्रों और नारी को प्रतारित करने की ऐसी बात क्यों करते ?<br /><br /> यदि ऐसा ही होता तो भील शबरी के जूठे बेर को भगवान द्वारा खाये जाने का वह चाहते तो लेखन न करते | यदि ऐसा होता तो केवट को गले लगाने का लेखन न करते |<br /> <br /><br />स्वामी जी के अनुसार ये चौपाई सही रूप में <br /> ढोल,गवार,सूद्र,पशु,नारी नहीं <br />बल्कि यह "ढोल,गवार,क्षुब्द पशु,रारी है |<br /><br />ढोल = बेसुरा ढोलक <br />गवार = गवांर व्यक्ति <br />क्षुब्द पशु = आवारा पशु जो लोगो को कष्ट देते हैं <br />रार = कलह करने वाले लोग <br /><br />" चौपाई का सही अर्थ है कि जिस तरह बेसुरा “ढोलक”, अनावश्यक ऊल जलूल बोलने वाला “गवांर व्यक्ति” , आवारा घूम कर लोगों की हानि पहुँचाने वाले (अर्थात क्षुब्द, दुखी करने वाले) पशु और रार अर्थात कलह करने वाले लोग जिस तरह दण्ड के अधिकारी हैं उसी तरह मैं भी तीन दिन से आपका मार्ग अवरुद्ध करने के कारण दण्ड दिये जाने योग्य हूँ | <br /><br />स्वामी राम भद्राचार्य जी जो के अनुसार श्रीरामचरितमानस की मूल चौपाई इस तरह है और इसमें ('क्षुब्द' के स्थान पर 'शुद्र' कर दिया और 'रारी' के स्थान पर 'नारी' कर दिया | <br /><br />भ्रमवश या भारतीय समाज को तोड़ने के लिये जानबूझ कर गलत तरह से प्रकाशित किया जा रहा है |<br /><br />इसे उद्देश्य के लिये उन्होंने अपने स्वयं के द्वारा शुद्ध की गई अलग रामचरित मानस प्रकाशित कर दी है। इसके साथ ही स्वामी राम भद्राचार्य का दावा है कि रामायण में लंका कांड जैसी कोई चीज ही नहीं है। असल में ये युद्ध कांड है जो लंका कांड के नाम से छपा जाता है। स्वामी जी कहते हैं कि संस्कृत की किसी भी रामायण में लंका कांड शब्द का प्रयोग नहीं हुआ है। तुलसीदास जी की सबसे पुरानी चौथी प्रति मानी गई है जो व्यंकटेश प्रेस बम्बई से छपी थी। उसमें भी युद्ध कांड है लंका कांड नहीं है।<br /><br /> रामभद्राचार्य कहते हैं धार्मिक ग्रंथो को आधार बनाकर गलत व्याख्या करके जो लोग हिन्दू समाज को तोड़ने का काम कर रहे है उन्हें सफल नहीं होने दिया जायेगा |<br /><br />आप सबसे से निवेदन है , इस लेख को अधिक से अधिक share करें |<br />तुलसीदास जी की चौपाई का सही अर्थ लोगो तक पहुंचायें हिन्दू समाज को टूटने से बचाएं |Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4615066544544881646.post-54787978033343508142018-10-27T18:59:29.460+05:302018-10-27T18:59:29.460+05:30बहुत अच्छा लिखा है आपने बहुत अच्छा लिखा है आपने Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/12020655841946014658noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4615066544544881646.post-74233247428993294112018-10-25T21:59:28.249+05:302018-10-25T21:59:28.249+05:30प्रणाम। महिला को वेद या दुर्गासप्तशती का पथ करना च...प्रणाम। महिला को वेद या दुर्गासप्तशती का पथ करना चाहिये या नही ? ॐ शिव।Pundarikaksha Pathakhttps://www.blogger.com/profile/07727881907317740895noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4615066544544881646.post-34362566597669404942018-10-13T21:18:51.509+05:302018-10-13T21:18:51.509+05:30औरत बहुत समवेद्न्शील एवम सहनशील होती,इसी कारण वह अ...औरत बहुत समवेद्न्शील एवम सहनशील होती,इसी कारण वह अपने ऊपर होने वाले सोशंण को सोशंण नहीं मानती (2) वह जीवन जोड़ने को प्रेरित करती हे ना की तोड़ने का Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/11640176671055604595noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4615066544544881646.post-58566884836611245842018-10-03T00:36:57.251+05:302018-10-03T00:36:57.251+05:30अगर हम इसके गहराई में जाकर घोर से देखेंगे कि प्रेम...अगर हम इसके गहराई में जाकर घोर से देखेंगे कि प्रेम विवाह के अस्वीकार के क्या कारण है तो हमें इसकी जड़ में धार्मिक कारण मिलेगे।Shakar ki posthttps://www.blogger.com/profile/00749582889402653344noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4615066544544881646.post-82512588442138212992018-09-14T12:39:49.029+05:302018-09-14T12:39:49.029+05:30उन बेटों के विषय में क्या सोच है जो अपना सब कुछ सम...उन बेटों के विषय में क्या सोच है जो अपना सब कुछ समर्पित कर बड़े शान से अपने गरीब माँ बाप का नाम ऊँचा करने हेतु उनके नाम पर अपनी सारी आय खर्च कर एक घर बनाते हैं, कर्ज ले लेकर बहनों की शादी करते हैं, कालांतर में किसी भी कारणवश ऐसी बहनें, जो शादी बाद दूसरों से प्रभावित रहती हैं, पैतृक संपति में दावा करने लगें तो संबंधों का क्या होगा!जो माँ बाप घर के आदर्शों के कारण बँटवारा या वसीयत जीते जी सोच भी न सकें उनके नाम पर रह गये संपत्ति पर दावा कहाँ तक उचित है! Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/03479457622566029712noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4615066544544881646.post-86033224025954437152018-08-31T06:05:18.310+05:302018-08-31T06:05:18.310+05:30सब लड़ाई की जड़ हैसब लड़ाई की जड़ हैAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/06439958132383439362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4615066544544881646.post-2236257053741095782018-08-06T14:20:52.398+05:302018-08-06T14:20:52.398+05:30Bahut nice Bahut nice Randheer meenanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4615066544544881646.post-91455405182000335042018-07-30T01:29:55.995+05:302018-07-30T01:29:55.995+05:30मेरी दादी कभी स्कूल नही गयी थी पर पढ़ी लिखी नही थी ...मेरी दादी कभी स्कूल नही गयी थी पर पढ़ी लिखी नही थी ये नही कह सकते क्योंकि उन्होंने पूरा गुजराती साहित्य पढ़ रखा था । लायब्रेरी से किताबे मंगवाक़े पढ़ती थी। ये मैंने अपने बचपन मे अपनी आंखों से देखा है। मेरे लिए ये शोध का विषय है कि बिना स्कूल गयी उनमे साहित्य में रुचि कैसे थी ? दुर्भाग्यवश मेरे परिवार में अब कोई नही जो मुजे ये सवाल का जवाब दे सके। Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4615066544544881646.post-6941850657832686162018-07-26T05:14:46.576+05:302018-07-26T05:14:46.576+05:30Sir Prem bivah 18 sal se pahle Kare to Kanun jur...Sir Prem bivah 18 sal se pahle Kare to Kanun jurm hai or samj 18 sal k kam umr me sadi De to kaya ye Kanun jurm nahi o v ladki Ke bina raja Mandi se Esme intersections Kanun lagta hi jo sadi jabr jasti 18 se km umr k ladki ko sadi karwata hi Mai RAVI plzz upk pas Koi jawab ho to muje Cal Kare quki hm Dono payer karte hai but hmne Kuch galt nahi kiya hai Mai usko bola hu Tum study karo plzz plzz Sir help us 8486560165Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/10057941673509674028noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4615066544544881646.post-88243847406308868282018-06-17T19:58:18.865+05:302018-06-17T19:58:18.865+05:30वर्ष 1966 में इलिनर मेक्काबी के पचास वर्षों के परी...वर्ष 1966 में इलिनर मेक्काबी के पचास वर्षों के परीक्षण के बाद में उन्होंने अपनी पुस्तक डेवलपमेंट ऑफ सेक्स डिफरेंस में स्त्री पुरुष की मानसिक शक्ति एवं बुद्धि समान है जिनमे कोई भेद नही है Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/07779152348220371196noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4615066544544881646.post-74789629510347649182018-05-06T00:53:58.132+05:302018-05-06T00:53:58.132+05:30Pls give me details of rule or amendment stating d...Pls give me details of rule or amendment stating daughter has equal right in fathers property. Till now no parents would like to give her right equally as son. Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4615066544544881646.post-11303764800092902282018-03-28T15:12:48.676+05:302018-03-28T15:12:48.676+05:30मेरे पिता की मृत्यु 17 में हुई है और मेरे बहिन की ...मेरे पिता की मृत्यु 17 में हुई है और मेरे बहिन की मृत्यु 2001 में हुई थी<br />बहन की मृत्यु हमारे घर पर ही हई थी उसके ससुराल वालों ने उसे मार पीट कर निकाल दिया था वो बीमार थी वओ सब कुछ छोड़कर हमारे पास आ गई थी उसके तीन बच्चे है क्या हमारे पिता की अर्जी त ओर पैतृक सम्पति में उनका अधिकार हैAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/07631215166474712974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4615066544544881646.post-18671425636227550262018-03-17T10:55:48.699+05:302018-03-17T10:55:48.699+05:30very true....insan ko Uske interest k according je...very true....insan ko Uske interest k according jeene Ka haq h ....nazianoreply@blogger.com