
(यह लेख कल के जनसत्ता में 'दुनिया मेरे आगे' स्तंभ में 'शब्दों से खेल' शीर्षक से छप चुका है.)
बात वहाँ से शुरू होती है, जब एक छोटी-सी लड़की को दुनिया की ऐसी कड़वी सच्चाइयों का सामना करना पड़ता है जिनके चलते वह सामान्य घटनाओं को भी एक खास नजरिए से देखने लग जाती है। मासूम दिल कम उम्र में ही परिपक्व हो जाता है। पिताजी रेलवे में स्टेशन मास्टर...