सोमवार, 20 मार्च 2023

हिन्दू स्त्रियों के सम्पत्ति -सम्बन्धी अधिकार (1.) स्त्रीधन क्या है?

प्राचीनकाल की अन्य सभ्यताओं की तरह ही भारतीय समाज भी पुरुषप्रधान था, जिसमें सम्पत्ति के उत्तराधिकार की पितृवंशीय व्यवस्था थी। इसके अंतर्गत किसी भी वंश या परिवार की संयुक्त सम्पत्ति (जो कि प्रायः कृषि भूमि के रूप में होती थी) पितामह से पिता को और उससे पुत्रों को प्राप्त होती थी। आज स्थिति बदल चुकी है। बेटियों को भी बेटों के ही समान पैतृक सम्पत्ति का उत्तराधिकार दिलाने वाला संशोधन लागू हो चुका है। लेकिन अब भी अधिकाँश महिलाओं को अपने आर्थिक अधिकारों के विषय में ज्ञान नहीं है। यह लेख स्त्रियों को उनके अधिकारों के विषय मेन जागरुक करने का एक प्रयास है। स्त्रीधन...

शुक्रवार, 10 मार्च 2023

प्राचीन भारत में स्त्रियों की स्थिति के सम्बन्ध में विभिन्न दृष्टिकोण

(प्रस्तुत लेख मेरे शोध-कार्य "मनुस्मृति एवं याज्ञवल्क्यस्मृति के नारी-संबंधी प्रावधानों का नारी-सशक्तीकरण पर प्रभाव" का अंश है. इसलिए अधूरा भी लग सकता है और हो सकता है कि कहीं और भी पढ़ा जा चुका है. वैसे सन्दर्भ-ग्रंथों के नाम भी दे दिए गए हैं)प्राचीन भारत में स्त्रियों की दशा के विषय में इतिहासकारों के अलग-अलग दृष्टिकोण हैं. कुछ विचारक यह मानते हैं कि प्राचीनकाल में स्त्रियों की स्थिति बहुत अच्छी थी और उन्हें पुरुषों के समान अधिकार प्राप्त थे. वहीं कुछ विचारक इस बात का विरोध करते हैं. उनका कहना है कि प्राचीनकाल मुख्यतः वैदिककाल में स्त्रियों की...