मेरा पालन-पोषण बचपन से ही लड़कों की तरह हुआ था. मैं अपने भाई से सिर्फ़ एक साल बड़ी हूँ. मेरे घर में हम दोनों के लिये एक जैसी चीज़ें आती थीं. मुझे कभी नहीं लगा कि मैं उससे किसी भी मामले में अलग हूँ. पढ़ने-लिखने में उससे ज़्यादा तेज थी, इसलिये मेरे पिताजी मेहमानों के सामने मेरी बडा़ई करते थे. मैं उनकी दुलारी बिटिया थी. पर धीरे-धीरे मेरे बड़े होने के साथ ही चीज़ें बदलने लगीं. माँ मुझे लड़कों के साथ खेलने के लिये मना करने लगी. मेरा भाई शाम को देर से खेलकर घर आता था, पर मेरा बाहर आना-जाना बन्द हो गया. हम पढ़ने गाड़ी(ट्रेन) से आते-जाते थे. गाड़ी में अनचाहे स्पर्शों...