शनिवार, 19 सितंबर 2009

छेड़छाड़ की समस्या

बहुत दिनों से मैं इस लेख पर अच्छी प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा कर रही थी. आज सोचा कि कुछ लिख ही लिया जाये. मेरे एक मित्र ने छेड़छाड़ की समस्या को एक मानसिक समस्या बताया है. मैं उनकी इस बात से बिल्कुल भी सहमत नहीं हूँ. यह समस्या केवल मनोवैज्ञानिक नहीं बल्कि सामाजिक समस्या है. अगर इस समस्या को केवल मनोवैज्ञानिक मान लें तो दुनिया के साठ से सत्तर प्रतिशत पुरुष मनोरोगी सिद्ध हो जायेंगे. यह इतनी सीधी-सादी सी बात नहीं है. जिस तरह भारत में दलितों की समस्या की जड़ें इसके इतिहास और सामाजिक ढाँचे में निहित हैं, उसी प्रकार पूरे विश्व में नारी की समाज में दोयम...