बुधवार, 8 मई 2013

पैतृक सम्पत्ति पर बेटी का अधिकार क्यों न हो?

कुछ  दिन पहले मैंने अपने पिता की सम्पत्ति पर अपने अधिकार के सम्बन्ध में श्री दिनेशराय द्विवेदी जी से उनके ब्लॉग 'तीसरा खम्बा' पर एक प्रश्न पूछा था. उनके उत्तर से मैं संतुष्ट भी हो गयी थी और सोचा था कि कुछ दिनों बाद मैं पिता की सम्पत्ति पर अपना दावा प्रस्तुत कर दूँगी. लेकिन मैंने देखा कि जिसे भी इस सम्बन्ध में बात करो, वही ऐसा न करने की सलाह देने लगता है. मैं ऐसे लोगों से कुछ प्रश्न पूछना चाहती हूँ. और साथ ही द्विवेदी जी से भी कुछ प्रश्न हैं इसी सन्दर्भ में.
मेरे पिताजी ने हम तीनों भाई-बहनों का एक समान ढंग से पालन-पोषण किया. उन्होंने कभी हममें लड़का-लड़की का भेदभाव नहीं किया. अपने अंतिम समय में वे भाई से थोड़ा नाराज़ थे. तो उन्होंने गुस्से में ये तक कह दिया था कि "मैं अपनी सम्पत्ति अपनी दोनों बेटियों में बाँट दूँगा. इस नालायक को एक कौड़ी तक नहीं दूँगा." मैंने हमेशा बाऊ जी की सेवा उसी तरह से की, जैसे कोई बेटा करता (हालांकि बेटे ने नहीं ही की थी, पिताजी के अनुसार)
फिर मैं उनकी सम्पत्ति की उत्तराधिकारिणी क्यों नहीं हो सकती? किस मामले में मैं अपने भाई से कम हूँ? और 2005 के हिंदू उत्तराधिकार कानून में संशोधन के बाद से ये कानूनी हक भी है. लेकिन मेरे भाई ने पिताजी के देहांत के बाद से घर पर कब्ज़ा कर लिया. अभी कुछ दिन पहले ज़मीन के कागज़ की नक़ल निकलवाई तो पता चला कि वो अपने आप भाई के नाम ट्रांसफर हो गयी है. जब 2005 के कानून के अनुसार बेटी भी अब ठीक उसी तरह अपनी पैतृक सम्पत्ति में उत्तराधिकार और विभाजन की अधिकारी होगी, जैसा अधिकार एक बेटे का है, तो ज़मीन अपने आप भाई के नाम क्यों हो गयी? क्या मेरी जगह कोई भाई होता, तो भी ऐसा ही होता. अगर नहीं तो इस कानून का मतलब क्या? जब मुझे लड़कर ही अपना हक लेना पड़े, तो वो हक ही क्या?
अगर कोई कृषि भूमि के कानूनों का हवाला देता है, तो क्या ये ठीक है कि पैतृक सम्पत्ति में बेटी को हक ना दिया जाय, सिर्फ इसलिए कि ज़मीन के अधिक टुकड़े हो जायेंगे? फिर वही बात कि फिर उस कानून का मतलब क्या? क्योंकि हमारे गाँवों में तो उतराधिकार योग्य सम्पत्ति में अधिकतर कृषि भूमि ही होती है. ऐसे तो लड़कियों को पैतृक सम्पत्ति में समान अधिकार के कानून का कोई मतलब ही नहीं रह जाता.
मेरे लिए उस सम्पत्ति का महत्त्व इसलिए नहीं है कि उससे मुझे कोई लाभ होगा. मेरे लिए सम्पत्ति में उतराधिकार की लड़ाई अपने पिता के प्रेम पर मेरे हक की लड़ाई है. और अगर कोई यह तर्क देता है कि लड़कियों के संपत्ति में हक माँगने से भाई-बहन के सम्बन्ध टूट जाते हैं, तो मेरे भाई से मेरे सम्बन्ध वैसे ही कौन से अच्छे हैं और अगर अच्छे होते भी, तो भी मैं अपना हिस्सा माँगती. रही बात दीदी की, तो उनदोनो ने तो पहले ही कह रखा है कि तीन भाग हो जाने दो, फिर अपना हिस्सा हम तुम्हें दे देंगे. क्योंकि हम दोनों बहनों के सम्बन्धों के बीच पैसा-रुपया-धन सम्पत्ति कभी नहीं आ सकती. जिनमें सच्चा प्यार होता है, वहाँ ये सभी मिट्टी के धेले के समान होता है.
मुझे लगता है कि इस प्रकार के ऊटपटांग तर्क देकर लड़कियों के उतराधिकार के हक को रोकने वाले लोग, न सिर्फ सामाजिक बल्कि कानूनी अपराध भी कर रहे हैं. याद रखिये कि जब आप ये कहते हैं कि लड़कियों को पिता की सम्पत्ति में हिस्सा लेने का क्या हक है, वे तो अपने पति के यहाँ चली जाती हैं, तो आप एक ओर तो उनके जैविक अभिभावक का हक उनसे छीन रहे होते हैं, दूसरी ओर 2005 के हिन्दू उतराधिकार कानून का उल्लंघन कर रहे होते हैं. लड़कियों का विवाह हुआ है या नहीं, उन्हें पति के घर जाना है या नहीं, इससे उनके माता-पिता के प्रेम पर हक क्यों कम होना चाहिए? और अगर माँ-बाप के प्रेम पर पूरा हक है, तो सम्पत्ति पर क्यों नहीं होना चाहिए?
अपनी अगली पोस्टों में मैं पैतृक सम्पत्ति में बेटियों के उत्तराधिकार और विभाजन के विषय में विस्तार से बताऊँगी. फिलहाल मैं जानती हूँ कि बहुत सी लड़कियाँ इस विषय में कोई जानकारी नहीं रखती हैं. इस पोस्ट के माध्यम से मैं सभी लड़कियों को ये बताना चाहती हूँ कि अब अपने बाप-दादा की ज़मीन पर तो उनका हक है ही, अपने पिता के आवास में रहने का हक भी है. कोई उनसे पैतृक सम्पत्ति पर उनके हक और पिता के घर में रहने का अधिकार नहीं छीन सकता है.

36 टिप्‍पणियां:

  1. आराधना जी ! इस लेख के लिए आप धन्यवाद की पात्र हैं ...यह हर लड़की की कहानी है ..

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  2. मुक्ति जी
    जहा तक मेरी जानकरी है की बेटियों को पिता की संपत्ति में अधिकार वाला कानून कृषि भूमि पर लागू नहीं है , अब संपत्ति पर आते है मेरे पिता ने अपने पिता की संपत्ति में कोई हिस्सा नहीं लिया उनका कहना था की पिता ने व्यापार शुरू करने में मदद की और उस व्यापार से उन्होंने अपनी खुद की संपत्ति बना ली फिर उन्हें पिता की संपत्ति लेने की क्या जरुरत है , यदि ईमानदारी से देखे तो पिता ये कह सकते है की वो व्यापार मैंने शुरू करवाया था तो तुम्हारी संपत्ति भी मेरी हुई , दुसरे जो पिता का घर है उसमे पहले से ही दो छोटे भाई रह रहे है यदि मै उसमे बटवारा करू तो वो दोनों कहा जायेंगे , ५ में से तिन अपना घर बना अलग हो गए और दो पिता के घर में रह गए सभी पिता की संपत्ति में हिस्सा मांगेगे तो नतीजा ये होगा की उस घर को ही बेचना पड़ेगा क्योकि वो इतना बड़ा नहीं है की उसमे ९ हिस्से लगे ८ बच्चे और एक दादी , ये विचार ही बेफकुफाना है उनके लिए , वैसे ही मेरे पिता ने भी भाई के साथ हम तिन बहनों को पढ़ाया लिखाया और बराबर पैसे खर्च किये अब उस पढाई लिखाई के बल बूते हम चारो भाई बहन कमा रहे है और संपत्ति भी बना रहे है , फिर हम किस अधिकार से पिता की संपत्ति मांगे वो उनकी संपत्ति है वो जिसे चाहे दे , जब वो और माता जी वसीयत नहीं बनायेंगे तब ही हम उनके बाद अधिकार की बात कर सकते है , उस घर को और माँ के गहनों में हमारी कोई रूचि नहीं है , पहले तो हम खुद अपने पैरो पर खेड़े है जब भाई को KAH सकते है की तुम अपने पैरो पर खड़े हो तो तुम्हे दूसरो से दहेज़ लेने की क्या आवश्यकता है तो यही बात हम पर भी लागु होती है , फिर उस घर में हमें रहना नहीं है हिस्सा लेने के लिए हमें उसे बेचना होगा , फिर इससे बड़ी मुर्खता की बात क्या होगी की हम अपनी यादो को बेच कर पैसा ले ले | ये हमारी निजी बात रही , अब सभी के लिए , विधवा, तलाकशुदा , और आर्थिक रूप से कमजोर बेटियों को जरुरत के समय ( क्योकि कई बार विधवा बेटी को उसके ससुराल में ही अच्छी जगह प्राप्त होती है ) जरुर उसके पिता के घर में रहने का हक़ मिलना चाहिए , जहा तक मेरी जानकरी है वो घर में रह तो सकती है उसे बेचने का हक़ उन्हें नहीं है , आप चाहती है एक आदर्श स्थिति की हर पिता अपनी बेटियों को अपनी सम्प्पति में बराबर का हक़ दे , और मै चाहती हूँ की हर पिता अपनी बेटी को इतना पढाये लिखाये ताकि वो खुद अपने पैरो पर KHADI हो सके उसमे उसका JYADA भला होगा , क्योकि अनपढ़ और कम समझदार बेटी को पिता की संपत्ति में हिस्सा भी मिला तो वो पति के और ससुराल वालो के हाथ में चला जायेगा उसकी स्थिति में कोई बदलाव नहीं होगा , जरुरी है की बेटियों को शसक्त और अपने फैसले लेने के लायक बनाया जाये, मुझे लगता है ये ज्यादा आदर्श स्थिति है |

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    1. bahut hi practical answer aisi soch ki hi jarurat se parivar aur samaz chalta hai

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    2. बेटियों को पिता की संपत्ति में अधिकार वाला कानून कृषि भूमि पर लागू नहीं है. यह बात किस कानून और नियम के अनुसार है.
      Call me or miss call. Plz
      Mo.no.9823680042.

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    3. बेटियों को पिता की संपत्ति में अधिकार वाला कानून कृषि भूमि पर लागू नहीं है. यह बात किस कानून और नियम के अनुसारखाच है.
      कृपया काॅल या मिस काॅल दो.
      शेखर वाणी.9823680042

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    4. अंशुमाला, मैं भी यही चाहती हूँ की हर माता-पिता अपने बेटे-बेटियों को पढ़ाये-लिखायें, जिससे वे अपने पैरों पर खड़े हो सकें. लेकिन यदि बीटा-बेटी दोनों एक सामान शिक्षित और आत्मनिर्भर हैं, तो बेटी को भी संपत्ति में बराबर का हक़ मिलना चाहिए. दहेज़ से ज्यादा उचित संपत्ति में हिस्सा है क्योंकि फिर यह सुनिश्चित हो जाएगा की जिससे पास संपत्ति है सिर्फ वही बेटी को संपत्ति में हिस्सा देगा, जैसा की बेटों को मिलता है और यदि सम्पत्ति नहीं है तो पिता दहेज़ देने के लिए बाध्य नहीं होगा. वैसे तो ये आदर्श स्थिति है, लेकिन फिर भी कोशिश तो की जा सकती है.

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  3. पर आप तो उत्तर प्रदेश की है ना?
    मैंने सुना है वहाँ तो कृषि भूमि में बेटियों को भी हक दिए जाने संबंधी कानून है।और अब कहीं कहीं दिया भी जाने लगा है।आपको इस संबंध में पता करना चाहिए।

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  4. मैंने भी मेरे पिता की संपत्तिमें हिस्सा मागा ...पिताजी के गुझर जाने के बाद मां का खयाल भी बहुत रखा. अंतिम दिओं में सेवा भी बहुत करी. मेरे ही घर में उसने आख्री सांस ली शांति से. मैंने मां से कहा था वो अपना मृत्यु पत्र बनाए .. और यह भी कहा था मेरा हिस्स भी रखे.. तीनों भैयों के साथ बरराबर. उसे कठिन लगा था.. उसे यह भी लगा था मैं भाइओंसे संपन्न हुं फिर मुझे क्युं मिलना चाहिए हिस्सा.. फिर शायद डर से की यह बेटी तो कोरट कचेरी भी जा सकती है उसने मेरा हिस्सा बराबर रखा. भाइओंको पसंद नही था..पर मां ने तो अपनी बहुओं का भी अलग हिस्सा रखा.. उसका कहना था बहुएं ही सारा संभालती है तो उनका भी हिस्सा होना चाहिए.. मां ने सोच बद्लि और अधिक संवेदन्शील रही.

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  5. Hissa Milna Chahiye. Hamne Apni Bahin Ko Pitaji Ki Property Me Se Hissa Diyaa

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  6. पैतृक सम्पत्ति में सबका हक़ वाजिब है
    बहुत बढ़िया जागरूक प्रस्तुति

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  7. Ye baat tb laagu honi chahia jb baap n
    e beti ki Saadi me ek paisa dahej na dia ho

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  8. Mere Dada ji 1973 me expire ho gai papa me 3 bhai ke naam jameen ka namantran hua date 6.12.1977 ko
    Us time papa ke umar 16 year ka tha bua ki umar 12 year ka
    Buaaa ki shadi 1982 me hua
    Aaj 2016 me hissa maang rahi hai kya WO haqdar hogi
    39 year pahle ka namantran cancel ho sakta
    Please mujhe margdarshan kare

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  9. हमारे मजहब इस्लाम में तो 1400 साल पहले ही कानूनन बेटी को पिता के जायदाद में 1/3 हिस्सा दे दिया था

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  10. वैदिक संस्कित मेँ कोई नारी हक नहीं मांगती न कोर्टों में चक्कर लगाती थी उनके अधिकार सुरक्षित थे

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  11. Beti beti bol ke sab india ko barbadi ki taraph le jane wale hain dekhte rahiye....

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  12. Ye kanoon family me kewal darar paida karega aur jo lobhi hain unke liye awsar dega

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  13. Jo beti khate pithe khandan me shadi hoke ja rahi hai usko kya jarurat hai pita ke sampatti me hisa ki.aakhir bahu bhi to kisi ki beti hi hai na

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  14. Aur bhaio aur bahno jab shadi hota to sab kuch lenden hota hi hai kanon hone ke bavjud.Aise me es kanoon se dahej lobhi sasural walon ko hi badawa milega.

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  15. Waise bhi India me aise bahut sare kanoon hain jinhe nahi hona chahiye lekin hain jaise ki reservation system.

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  16. में जानना चाहती हूँ कि माँ की पुस्तेनी खेती की जमीन पर एक बेटी का हक कियों नहीं दिया जाता / जब कि कानून कहता कि बेटा बेटी एक समान हे / बेटी बचाओ / बेटी की शादी करो / कुछ दिन के बाद किसी वजह से बेटी विधवा हो जाय तो कम से कम उस संपत्ति से अपना जीवन तो काट लेगी / क्यों की गरीब आदमी अच्छी शादी कर नही सकता / बेटी को अच्छा पढ़ा नहीं सकता / सरकारी सहायता ऊंट के मुंह में जीरा के बराबर मिलती हे

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  17. बेटी को सम्पति की ज़रूरत हो तो बेटी को हक़ लेना चाहिए अगर आर्तिक इस्तिथि बेटी की कमज़ोर ह तो भाई को मद्दत भी करनी चाहिए, पर अगर बहन सम्पति म गक लेने के बाद सम्पति किसी ओर को बेचे या उस सम्पति का इस्तिमाल सुसराल पक्ष के लोग करे तो गलत है समाप्ति बेटी चाहये तो ले सकती ह इस्तिमाल करने के लिए अफार आर्तिक इस्तिथि कमज़ोर है।

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  18. अगर बेटी की आर्थिक इस्तिथि कमज़ोर है तो उसको सम्पति लेनी चाहिए ,समाप्ति से अपनी आर्थिक इस्थिति सुधारने के लिए समाप्ति का इस्तिमाल करने जा हक़ मिलना चाहिए बेटी को सम्पति बेचने का हक़ नही होना चाहिए।

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  19. बेटी को सम्पति की ज़रूरत हो तो बेटी को हक़ लेना चाहिए अगर आर्तिक इस्तिथि बेटी की कमज़ोर ह तो भाई को मद्दत भी करनी चाहिए, पर अगर बहन सम्पति म गक लेने के बाद सम्पति किसी ओर को बेचे या उस सम्पति का इस्तिमाल सुसराल पक्ष के लोग करे तो गलत है समाप्ति बेटी चाहये तो ले सकती ह इस्तिमाल करने के लिए अफार आर्तिक इस्तिथि कमज़ोर है।

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  20. बेटी को सम्पति की ज़रूरत हो तो बेटी को हक़ लेना चाहिए अगर आर्तिक इस्तिथि बेटी की कमज़ोर ह तो भाई को मद्दत भी करनी चाहिए, पर अगर बहन सम्पति म गक लेने के बाद सम्पति किसी ओर को बेचे या उस सम्पति का इस्तिमाल सुसराल पक्ष के लोग करे तो गलत है समाप्ति बेटी चाहये तो ले सकती ह इस्तिमाल करने के लिए अगर आर्तिक इस्तिथि कमज़ोर है।

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  21. मेरी पत्नी तीन बहन है पत्नी का भई कोई नहीं है मेरे ससुर ji apani सारी samapatti apane chhote bhai को Dena चाहत है मै क्या karu

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    1. विवेक जी, हिन्दू संपत्ति उत्तराधिकार अधिनियम में हुए नए संशोधन के बाद बेटियाँ पैतृक संपत्ति में बराबर की हक़दार हैं, लेकिन पिता अपने द्वारा अर्जित की गयी संपत्ति को जिसे चाहें उसे दे सकते हैं. आप अपनी पाटनी से कहिये की वे किसी वकील से मिलें. इसमें आप कुछ नहीं कर सकते क्योंकि संपत्ति में अधिकार बेटी को मिलता है, न कि दामाद को.

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  22. मेरे पिता की मृत्यु 17 में हुई है और मेरे बहिन की मृत्यु 2001 में हुई थी
    बहन की मृत्यु हमारे घर पर ही हई थी उसके ससुराल वालों ने उसे मार पीट कर निकाल दिया था वो बीमार थी वओ सब कुछ छोड़कर हमारे पास आ गई थी उसके तीन बच्चे है क्या हमारे पिता की अर्जी त ओर पैतृक सम्पति में उनका अधिकार है

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    उत्तर
    1. दिनेश जी, संयुक्त परिवार की अविभाजित पैतृक संपत्ति में बेटी का अधिकार तो अविवादित है, पिता द्वारा अर्जित संपत्ति के विषय में मुझे बहुत अधिक जानकारी नहीं है. अच्छा होगा कि इस विषय में आप किसी अधिवक्ता से मिलें.

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  23. Pls give me details of rule or amendment stating daughter has equal right in fathers property. Till now no parents would like to give her right equally as son.

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    1. Amendment of Section 6 of The Hindu Succession (Amendment) Act, 2005 says-
      -Daughter shall have the same rights in the coparcenary property as she would have had she been a son;
      -The daughter shall be subject to the same liability in the said coparcenary property as that of a son;
      -The daughter shall be allotted the same share as is allotted to a son;
      -The share of the per-deceased son or a per-deceased daughter shall be allotted to the surviving child of such per-deceased son or of such per-deceased daughter;
      -The share of the per-deceased child of a per-deceased son or of a per-deceased daughter shall be allotted to the child of such per-deceased child of the per-deceased son or a per-deceased daughter.

      Furthermore, after the commencement of the Hindu Succession (Amendment) Act, 2005, the pious obligation of a son, grandson or great-grandson for the recovery of any debt due from his father, grandfather or great-grandfather under the Hindu law, came to an end
      ...
      You can see the full article related to this amendment on wikipedia.an if you want to know more details, you can consult with any lawyer.

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  24. उत्तर
    1. बेटों के बीच संपत्ति में बंटवारा लड़ाई की जड़ नहीं है, सिर्फ बेटियों को अधिकार मिलना लड़ाई की जड़ है.

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  25. उन बेटों के विषय में क्या सोच है जो अपना सब कुछ समर्पित कर बड़े शान से अपने गरीब माँ बाप का नाम ऊँचा करने हेतु उनके नाम पर अपनी सारी आय खर्च कर एक घर बनाते हैं, कर्ज ले लेकर बहनों की शादी करते हैं, कालांतर में किसी भी कारणवश ऐसी बहनें, जो शादी बाद दूसरों से प्रभावित रहती हैं, पैतृक संपति में दावा करने लगें तो संबंधों का क्या होगा!जो माँ बाप घर के आदर्शों के कारण बँटवारा या वसीयत जीते जी सोच भी न सकें उनके नाम पर रह गये संपत्ति पर दावा कहाँ तक उचित है!

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    उत्तर
    1. संपत्ति का बंटवारा बेटों के बीच करते हुए यह देखा जाता है कि वे अपनी पत्नियों या ससुराल से प्रभावित होकर तो अपना हक नहीं मांग रहे हैं? ये सारी शर्तें बेटियों को अधिकार देने के समय ही क्यों लगायी जाती हैं? और मेरा तो यही मानना है कि बेटियों को दहेज़ के बजाय संपत्ति में अधिकार दिया जय. इससे कर्ज लेकर विवाह करने की ज़रूरत ही नहीं रहेगी. यदि पैतृक संपत्ति होगी तो उन्हें मिलेगी नहीं होगी तो नहीं मिलेगी. इससे जो लालची लोग हैं वे लड़कियों के घरवालों के पास आयेंगे ही नहीं.

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  26. मेरे पिताजी अपने इकलौते बेटे के द्वारा मुक्ति प्राप्त करने के लालच में भ्रमित हैं।मेरा व मेरे पति का अपमान करते हैं। उनके पास पैत्रिक क्रषि भूमि UPमें है।क्या मैं अपना हक ले सकती हू,जिससे कि उन्हें अहसास हो कि बेटी भी अपना खून ही हैं।क्रपया राय अवश्य दें। बेटी।

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    1. बिल्कुल ले सकती हैं. आप किसी अच्छे वकील से मिलें. पैतृक संपत्ति पर आपका अधिकार है और इसे पिता भी नहीं रोक सकते.

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बहस चलती रहे, बात निकलती रहे...