गुरुवार, 7 जनवरी 2010

छेड़छाड़ की समस्या के कारणों की पड़ताल

     छेड़छाड़ की समस्या हमारे समाज की एक गम्भीर समस्या है. इसके बारे में बातें बहुत होती हैं, परन्तु इसके कारणों को लेकर गम्भीर बहस नहीं हुयी है. अक्सर इसको लेकर महिलाएँ पुरुषों पर दोषारोपण करती रहती हैं और पुरुष सफाई देते रहते हैं, पर मेरे विचार से बात इससे आगे बढ़नी चाहिये.     मैंने पिछले कुछ दिनों ब्लॉगजगत्‌ के कुछ लेखों को पढ़कर और कुछ अपने अनुभवों के आधार पर निष्कर्ष निकाला है कि लोगों के अनुसार छेड़छाड़ की समस्या के कारणों की पड़ताल तीन दृष्टिकोणों से की जा सकती है- जैविक दृष्टिकोण- जिसके अनुसार पुरुषों की जैविक...

सोमवार, 4 जनवरी 2010

स्त्रीलिंग-पुल्लिंग विवाद के व्यापक संदर्भ

स्त्रीलिंग-पुल्लिंग विवाद भले ही सबको निरर्थक बहस लगती हो, परन्तु नारीवादी आन्दोलन में भाषा के इस विवाद के व्यापक मायने हैं. जैसा कि हम जानते हैं कि हमारे समाज में स्त्री-पुरुष के कार्यक्षेत्र तय थे और इसी अनुसार भाषा भी विकसित होती गयी. भाषा लोकानुगामिनी होती है. जो शब्द प्रचलन में होते हैं वे भाषा का अंग बन जाते हैं और इस प्रकार भाषा हमारे समाज की मनोवृत्ति को दर्शाती है. समाज में चूँकि घर के अन्दर के कार्य औरतें करती हैं, इसलिये "गृहिणी" शब्द स्त्रीलिंग है और बाहर का कार्य पुरुष करते हैं, इसलिये समाज के सभी महत्त्वपूर्ण पदों से सम्बन्धित शब्द...