शनिवार, 25 अप्रैल 2009

पितृसत्ता :एक अवलोकन

पितृसत्ता का तात्पर्य आमतौर पर पुरुष-प्रधान समाज से लिया जाता है,जिसमें सम्पत्ति का उत्तराधिकार पिता से पुत्र को प्राप्त होता है. परन्तु नारीवादी दृष्टि से पितृसत्ता की अवधारणा अत्यन्त व्यापक है. यह मात्र पुरुषों के वर्चस्व से सम्बन्धित नहीं है, अपितु इसका सम्बन्ध उस सामाजिक ढाँचे से है, जिसके अन्तर्गत सत्ता सदैव शक्तिशाली के हाथ में होती है, चाहे वह स्त्री हो या पुरुष. इस प्रकार पितृसत्तात्मक विचारधारा स्त्री और पुरुष दोनों को प्रभावित करती है. पितृसत्ता के इस अर्थ को समझ लेने पर हम उस आक्षेप का स्पष्टीकरण दे सकते हैं,जिसके अनुसार कहा जाता है...

गुरुवार, 16 अप्रैल 2009

नारीवाद और नारी-सशक्तीकरण

नारीवाद और नारीसशक्तीकरण एक-दूसरे से भिन्न अवश्य हैं, परन्तु विरोधी नहीं। नारीवाद एक दर्शन है,जिसका उद्देश्य है-समाज में नारी की विशेष स्थिति के कारणों का पता लगाना और उसकी बेहतरी के लिये वैकल्पिक समाधान प्रस्तुत करना, जबकि महिला-सशक्तीकरण एक आन्दोलन है,एक कार्य-योजना है,एक प्रक्रिया है,जिसे मुख्यत: सरकार और गैरसरकारी संगठन करते हैं। नारीवाद चूँकि नारी की समस्याओं का अध्ययन है,इसलिये यह तब तक अप्रसांगिक नहीं हो सकता जब तक कि समाज में नारी और पुरुष एक बराबर की स्थिति में न आ जाएं। women studies में हम दोनों का ही अध्ययन करते हैं- सिद्धांतों का भी...

सोमवार, 13 अप्रैल 2009

सेक्स और जेंडर में अन्तर

नारीवाद का सबसे बड़ा योगदान है "सेक्स" और "जेन्डर" में भेद स्थापित करना . सेक्स एक जैविक शब्दावली है ,जो स्त्री और पुरुष में जैविक भेद को प्रदर्शित करती है . वहीं जेन्डर शब्द स्त्री और पुरुष के बीच सामाजिक भेदभाव को दिखाता है . जेन्डर शब्द इस बात की ओर इशारा करता है कि जैविक भेद के अतिरिक्त जितने भी भेद दिखते हैं,वे प्राकृतिक न होकर समाज द्वारा बनाये गये हैं और इसी में यह बात भी सम्मिलित है कि अगर यह भेद बनाया हुआ है तो दूर भी किया जा सकता है . समाज में स्त्रियों के साथ होने वाले भेदभाव के पीछे पूरी सामाजीकरण की प्रक्रिया है,जिसके तहत बचपन से...

शनिवार, 11 अप्रैल 2009

नारीवाद का मतलब

ऑरकुट पर नारीवाद से सम्बंधित कम्युनिटी ढूँढते हुए मैंने नारीवाद-विरोधी कम्युनिटी भी देखीं .कुछ ऐसी भी हैं जिनका कहना है की वे feminists से नफरत करते हैं पर humanists से प्यार करते हैं .वैसे ,इस democratic देश में सभी को अपनी पसंद और विचार जाहिर करने का अधिकार है ,पर मैंने देखा है कि जो लोग जिसके बारे में नहीं जानते ,वे ही सबसे अधिक विरोध करते हैं .नारीवाद की ना कभी पुरुषों से दुश्मनी रही है और ना ही मानववाद से . तो जब कोई यह कह रहा होता है कि वह नारीवाद को इसलिए पसंद नहीं करता कि वह पुरुषों का विरोधी है ,तो वह अपने इस विषय में कम ज्ञान को दिखा...

शुक्रवार, 3 अप्रैल 2009

संदेश

जब मैंने ब्लॉग लिखना शुरू किया था ,तो सोचा था कि सिर्फ़ कवितायें ही लिखूंगी .पर मुझे लगने लगा कि कविताओं में अपनी भावनाएँ तो सुन्दरता से अभिव्यक्त की जा सकती हैं ,पर विचार नहीं .तो मैंने यह नया ब्लॉग शुरू किया .इसके माध्यम से मैं अपने विचारों को अपने ब्लॉग-जगत के साथियों तक पहुँचाना चाहूँगी .मैं चाहूँगी की यह ब्लॉग नारी मुद्दों से सरोकार रखने वालों के लिए एक मंच का काम करे .मैं इस ब्लॉग को अन्य नारी सम्बन्धी ब्लॉग से जोड़ने का प्रयास भी करुँगी .मैं कुछ प्रश्न उठाऊंगी और अपने साथियों से अपेक्षा करुँगी कि वे इसका उत्तर बेहिचक द...
Posted on 4/03/2009 12:17:00 am | Categories: