नारीवाद का मतलब
ऑरकुट पर नारीवाद से सम्बंधित कम्युनिटी ढूँढते हुए मैंने नारीवाद-विरोधी कम्युनिटी भी देखीं .कुछ ऐसी भी हैं जिनका कहना है की वे feminists से नफरत करते हैं पर humanists से प्यार करते हैं .वैसे ,इस democratic देश में सभी को अपनी पसंद और विचार जाहिर करने का अधिकार है ,पर मैंने देखा है कि जो लोग जिसके बारे में नहीं जानते ,वे ही सबसे अधिक विरोध करते हैं .नारीवाद की ना कभी पुरुषों से दुश्मनी रही है और ना ही मानववाद से . तो जब कोई यह कह रहा होता है कि वह नारीवाद को इसलिए पसंद नहीं करता कि वह पुरुषों का विरोधी है ,तो वह अपने इस विषय में कम ज्ञान को दिखा रहा होता है .नारीवाद एक ऐसा सिद्धांत है जो समाज के उस पक्ष को प्रस्तुत करता है ,जहाँ सदियों से औरत को दूसरे स्थान पर रखा गया .अब लोग यह भी कह सकते हैं की हमारे देश में कभी नारी की पूजा होती थी ,यह बात भी पूरी तरह सच नहीं है ,इसके विषय में भी किसी को अच्छी तरह पढ़ के ही बोलना चाहिए .anti-feminism आज-कल उसी तरह fashion हो गया है ,जैसे किसी समय feminism का था .पर किसी भी विचार का समर्थन या विरोध करते समय कम से कम उसका कुछ ज्ञान तो होना ही चाहिए और मेरे विचार से एक बार नारीवाद को जान लेने के बाद कोई उसका विरोध नहीं करेगा , सहमत भले ही ना हो .
आपकी बात से शत-प्रतिशत सहमत हूं। (कृपया वर्ड वेरीफिकेशन वाला आप्शन हटा लें टिप्पणी करने में दिक्कत होती है)
जवाब देंहटाएंआप सही कहते हैं।
जवाब देंहटाएंbaat sahi hai aapki.....
जवाब देंहटाएंHa
हटाएंबात तो बिलकुल सही है
जवाब देंहटाएंहिंदी ब्लॉग की दुनिया में आपका सादर स्वागत है....
जवाब देंहटाएंहिंदी ब्लॉग की दुनिया में आपका सादर स्वागत है....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
जवाब देंहटाएंMukti ji,
जवाब देंहटाएंbahut sahee likha hai apne...hindi blog jagat men apka svagat hai.
Poonam
स्वागत है.....शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंजहॉ वाद है ही विवाद है
जवाब देंहटाएंशुभ कामना
है विवाद हर वाद में रिश्ता है प्राचीन।
जवाब देंहटाएंअपने वाद के पक्ष में देते तर्क नवीन।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
naarivad apne aarambhik kaal me nischit taur par ek krantikari vichar tha. sadiyon ke shoshan aur doyam darze ke khilaf ek sashakt vidroh.
जवाब देंहटाएंkalantar me iski tamam shakhaye-prashakhayen viksit hui jinme kuch to prtigami aur fashionable bhi thi.
darasal, stree ki mukti ka saval samaj ke poonjivad se mukti se juda hai aur iska hissa bane bina adhura hai.
woman has travelled away from feminism to woman empowerment and that is what is prevelant today
जवाब देंहटाएंnaari sashktikaran naarivad sae kahin aagey ki baat haen aur log naarivaad kae virodh par hi atak gaye haen !!!!!1
achcha prashn kiya haen aapne mukti
बिल्कुल सही बात कही है आपने। मैं आपसे सहमत हूँ।
जवाब देंहटाएंसवाल नारीवाद के समर्थन या विरोध का नहीं है। सवाल तो ये होना चाहिए कि कोई वाद ही क्यों? क्या पुरुष वाद की आवष्यकता महसूस हुई? क्या आज नारी का जो विकास है वह नारीवाद के चलते ही हुआ है? आजकल महिलाओं को किसी न किसी रूप में पुरुषों के विरुद्ध खड़ा करना ही नारीवाद रह गया है। यह कदापि सही नहीं है।
जवाब देंहटाएंआप सभी का मेरे आलेख पर टिप्पणी करने के लिए धन्यवाद ! दरअसल मैं ऐसे ऐसी ही बहस की उम्मीद कर रही थी . आगे मैं नारीवाद के योगदान और महिला सशक्तिकरण के विषय पर भी चर्चा करुँगी .
जवाब देंहटाएं