मंगलवार, 30 मार्च 2010

छेड़छाड़ की समस्या : समाधान के कुछ सुझाव (2.)

हम प्रायः इस ग़लतफ़हमी में रहते हैं कि हमारे घर-परिवार के पुरुष सदस्य छेड़छाड़ कर ही नहीं सकते और जब ऐसा हो जाता है, तो हम या फिर आश्चर्य करते हैं या उनके अपराध को छिपाने की कोशिश. ऐसा बहुत से केसों में देखने को मिला है कि अपराधी के घर वाले उल्टा पीड़ित पर ही आरोप लगाने लगते हैं. अभी कुछ दिनों पहले का चर्चित केस है. पूर्वी यू.पी. के एक लड़के ने गोवा...

शनिवार, 20 मार्च 2010

भारत में नारीवाद की क्या आवश्यकता है???

मैं छेड़छाड़ की समस्या पर एक श्रृँखला लिख रही थी, जिसकी समापन किस्त तैयार करके रखी है. बस टाइप करनी है. पर इसी बीच मेरे एक मित्र ने एक लेख लिखा जिसका शीर्षक है-"Do We Need Feminism At All?" मैं अपने इस लेख के माध्यम से उसका उत्तर देने का प्रयास कर रही हूँ.यद्यपि अपने एक लेख में मैं पहले भी लिख चुकी हूँ कि जब हम यह कहते हैं कि नारीवाद की भारत में क्या ज़रूरत है? तो यह मानकर चलते हैं कि यह एक पश्चिम की अवधारणा है, जबकि ऐसा नहीं है. इसके उद्धरण में मैंने कुछ प्राचीन साहित्य और स्मृतियों के अंश दिये थे.       इस बात का...