स्त्रीवादी-बहस

स्त्रीवादी सिद्धान्तों की साधारण शब्दों में व्याख्या... स्त्रियों की कुछ समस्याओं के कारणों की खोज और समाधान ढ़ूँढ़ने का प्रयास.

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रविवार, 17 मार्च 2019

जो है, सो है




राजस्थान भले ही रेतीला है मगर उसी भारतीय राज्य की यह बिंदास तस्वीर बताती है कि वहां गांवों में भी औरतें किसी शहर से कम नहीं.
 इससे सम्बद्ध लेख यहाँ देखें 
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Posted on 3/17/2019 06:26:00 pm | Categories: नारीवाद, समाज, स्त्री विमर्श, स्त्रीवाद, bold lady, feminism
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"भारत में नारीवाद को पश्चिमी परिप्रेक्ष्य में देखा गया है, जबकि ज़रूरत उसे भारतीय परिप्रेक्ष्य में समझने की है. यद्यपि पितृसत्ता हर युग और काल में मौजूद रही है, पर भारत में यह अत्यधिक जटिल ताने-बाने के साथ उपस्थित है, जिसमें जाति, वर्ण, वर्ग और धर्म सभी सम्मिलित हैं. इसे 'ब्राह्मणवादी पितृसत्ता' का नाम दिया गया है. इसका यह अर्थ नहीं कि इसका निशाना कोई एक जाति है. यह भारतीय समाज में व्याप्त स्त्री की पराधीनता के अलग-अलग रूपों को दर्शाता है.
मेरी कोशिश नारीवाद को इसी भारतीय समाज के परिप्रेक्ष्य में समझने की और मौजूदा समस्याओं को इस आधार पर विश्लेषित करने की है."

Aradhana Chaturvedi

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"पितृसत्ता पूरे समाज को एक अनमनीय व्यवस्था में बाँध देती है। पितृसत्ता स्त्रियों से हँसने का अधिकार छीन लेती है और पुरुषों से रोने का।"

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प्रिंट मीडिया में इस ब्लॉग की चर्चा

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19 फरवरी 2012 को डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट में

राष्ट्रीय सहारा में

राष्ट्रीय सहारा में
7 सितम्बर 2011

राष्ट्रीय सहारा

राष्ट्रीय सहारा में २० अप्रैल २०११


राजस्थान पत्रिका में बालेंदु शर्मा दाधीच जी का लेख
  • जनसत्ता में 6 फरवरी 2010
  • जनसत्ता में 23 दिसंबर 2009
  • डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट में 18 दिसंबर 2009

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