हम प्रायः इस ग़लतफ़हमी में रहते हैं कि हमारे घर-परिवार के पुरुष सदस्य छेड़छाड़ कर ही नहीं सकते और जब ऐसा हो जाता है, तो हम या फिर आश्चर्य करते हैं या उनके अपराध को छिपाने की कोशिश. ऐसा बहुत से केसों में देखने को मिला है कि अपराधी के घर वाले उल्टा पीड़ित पर ही आरोप लगाने लगते हैं.
अभी कुछ दिनों पहले का चर्चित केस है. पूर्वी यू.पी. के एक लड़के ने गोवा में एक नौवर्षीय रूसी लड़की के साथ यौन-दुर्व्यवहार किया. जब पुलिस लड़के के घर पूछताछ करने पहुँची, तो उसके घर वाले आश्चर्य में पड़ गये. उसकी बूढ़ी माँ ने कहा,"पता नहीं ऐसा कैसे हुआ? लड़का तो ऐसा नहीं था. हमने तो देखा नहीं. पता नहीं सच क्या है?" अब इसमें ग़लती इस माँ की नहीं है. उसने तो अपने बेटे को ये सब सिखाया नहीं.
कोई भी अपने बेटों को ग़लत शिक्षा नहीं देता, पर अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाये, तो ऐसी दुर्घटना से बचा जा सकता है. मेरा ये कहना बिल्कुल नहीं है कि हम अपने घर के पुरुष सदस्यों को शक की निगाह से देखें और उनकी हर गतिविधि पर नज़र रखें. ऐसा करना न व्यावहारिक होगा और न ही उचित. और परिवार की शान्ति भंग होगी सो अलग से. पर विशेषकर किशोरावस्था के लड़कों के पालन-पोषण में सावधानी बहुत ज़रूरी है. मैं अपने अनुभवों और अध्ययन के आधार पर कुछ सुझाव दे रही हूँ, शेष...जो भी लोग इस मुद्दे को लेकर संवेदनशील हैं और कुछ सुझाव देना चाहते हैं, वे दे सकते हैं---
---अपने बेटों को बचपन से ही नारी का सम्मान करना सिखायें, इसलिये नहीं कि वह नारी होने के कारण पूज्य है, बल्कि इसलिये कि वह एक इन्सान है और उसे पूरी गरिमा के साथ जीने का हक़ है.
---उन्हें यह बतायें कि उनकी बहन का भी परिवार में वही स्थान है, जो उनका है, न उससे ऊँचा और न नीचा.
---उसे अपनी बहन का बॉडीगार्ड न बनायें. ऐसा करने पर लड़के अपने को श्रेष्ठतर समझने लगते हैं.
---अपने किशोरवय बेटे की गतिविधियों पर ध्यान दें, परन्तु अनावश्यक टोकाटाकी न करें.
---उन्हें उनकी महिलामित्रों को लेकर कभी भी चिढ़ायें नहीं, एक स्वस्थ मित्रता का अधिकार सभी को है.
---किशोरावस्था के लड़कों को यौनशिक्षा देना बहुत ज़रूरी है. मेरे ख्याल से परिवार इसके लिये बेहतर जगह होती है. यह कार्य उनके बड़े भाई या पिता कर सकते हैं. इसके लिये घर का माहौल कम से कम इतना खुला होना चाहिये कि लड़का अपनी समस्याएँ पिता को बता सके. ( यहाँ मैं यौनशिक्षा पर विचार उतने विस्तार से नहीं रख रही क्योंकि इस विषय में मैं खुशदीप भाई की पोस्ट से शत-प्रतिशत सहमत हूँ)
छेड़छाड़ की समस्या के कारणों और समाधान के पड़ताल की यह समापन किस्त है. मैं दिनोदिन औरतों के साथ बढ़ रहे यौन शोषण और बलात्कार के मामलों से बहुत चिन्तित हूँ. मुझे ये नहीं लगता कि ये सब कुछलोगों की कुत्सित मानसिकता या औरतों के पहनावे का परिणाम है. इस तरह के विश्लेषण ऐसी गम्भीर समस्या को उथला और समाधान को असंभव बना देते हैं. यौन शोषण की समस्या की जड़ें हमारी सामाजिक संरचना में कहीं गहरे निहित हैं. वर्तमान काल की परिवर्तित होती परिस्थितियाँ, सांस्कृतिक संक्रमण, विभिन्न वर्गों के बीच बढ़ता अन्तराल आदि इस समस्या को और जटिल बना देते हैं. इस समस्या के कारण और समाधान खोजने के लिये समाज में एक लम्बी बहस चलाने की आवश्यकता है.
अभी कुछ दिनों पहले का चर्चित केस है. पूर्वी यू.पी. के एक लड़के ने गोवा में एक नौवर्षीय रूसी लड़की के साथ यौन-दुर्व्यवहार किया. जब पुलिस लड़के के घर पूछताछ करने पहुँची, तो उसके घर वाले आश्चर्य में पड़ गये. उसकी बूढ़ी माँ ने कहा,"पता नहीं ऐसा कैसे हुआ? लड़का तो ऐसा नहीं था. हमने तो देखा नहीं. पता नहीं सच क्या है?" अब इसमें ग़लती इस माँ की नहीं है. उसने तो अपने बेटे को ये सब सिखाया नहीं.
कोई भी अपने बेटों को ग़लत शिक्षा नहीं देता, पर अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाये, तो ऐसी दुर्घटना से बचा जा सकता है. मेरा ये कहना बिल्कुल नहीं है कि हम अपने घर के पुरुष सदस्यों को शक की निगाह से देखें और उनकी हर गतिविधि पर नज़र रखें. ऐसा करना न व्यावहारिक होगा और न ही उचित. और परिवार की शान्ति भंग होगी सो अलग से. पर विशेषकर किशोरावस्था के लड़कों के पालन-पोषण में सावधानी बहुत ज़रूरी है. मैं अपने अनुभवों और अध्ययन के आधार पर कुछ सुझाव दे रही हूँ, शेष...जो भी लोग इस मुद्दे को लेकर संवेदनशील हैं और कुछ सुझाव देना चाहते हैं, वे दे सकते हैं---
---अपने बेटों को बचपन से ही नारी का सम्मान करना सिखायें, इसलिये नहीं कि वह नारी होने के कारण पूज्य है, बल्कि इसलिये कि वह एक इन्सान है और उसे पूरी गरिमा के साथ जीने का हक़ है.
---उन्हें यह बतायें कि उनकी बहन का भी परिवार में वही स्थान है, जो उनका है, न उससे ऊँचा और न नीचा.
---उसे अपनी बहन का बॉडीगार्ड न बनायें. ऐसा करने पर लड़के अपने को श्रेष्ठतर समझने लगते हैं.
---अपने किशोरवय बेटे की गतिविधियों पर ध्यान दें, परन्तु अनावश्यक टोकाटाकी न करें.
---उन्हें उनकी महिलामित्रों को लेकर कभी भी चिढ़ायें नहीं, एक स्वस्थ मित्रता का अधिकार सभी को है.
---किशोरावस्था के लड़कों को यौनशिक्षा देना बहुत ज़रूरी है. मेरे ख्याल से परिवार इसके लिये बेहतर जगह होती है. यह कार्य उनके बड़े भाई या पिता कर सकते हैं. इसके लिये घर का माहौल कम से कम इतना खुला होना चाहिये कि लड़का अपनी समस्याएँ पिता को बता सके. ( यहाँ मैं यौनशिक्षा पर विचार उतने विस्तार से नहीं रख रही क्योंकि इस विषय में मैं खुशदीप भाई की पोस्ट से शत-प्रतिशत सहमत हूँ)
छेड़छाड़ की समस्या के कारणों और समाधान के पड़ताल की यह समापन किस्त है. मैं दिनोदिन औरतों के साथ बढ़ रहे यौन शोषण और बलात्कार के मामलों से बहुत चिन्तित हूँ. मुझे ये नहीं लगता कि ये सब कुछलोगों की कुत्सित मानसिकता या औरतों के पहनावे का परिणाम है. इस तरह के विश्लेषण ऐसी गम्भीर समस्या को उथला और समाधान को असंभव बना देते हैं. यौन शोषण की समस्या की जड़ें हमारी सामाजिक संरचना में कहीं गहरे निहित हैं. वर्तमान काल की परिवर्तित होती परिस्थितियाँ, सांस्कृतिक संक्रमण, विभिन्न वर्गों के बीच बढ़ता अन्तराल आदि इस समस्या को और जटिल बना देते हैं. इस समस्या के कारण और समाधान खोजने के लिये समाज में एक लम्बी बहस चलाने की आवश्यकता है.