स्त्रीवादी सिद्धान्तों की साधारण शब्दों में व्याख्या... स्त्रियों की कुछ समस्याओं के कारणों की खोज और समाधान ढ़ूँढ़ने का प्रयास.
"भारत में नारीवाद को पश्चिमी परिप्रेक्ष्य में देखा गया है, जबकि ज़रूरत उसे भारतीय परिप्रेक्ष्य में समझने की है. यद्यपि पितृसत्ता हर युग और काल में मौजूद रही है, पर भारत में यह अत्यधिक जटिल ताने-बाने के साथ उपस्थित है, जिसमें जाति, वर्ण, वर्ग और धर्म सभी सम्मिलित हैं. इसे 'ब्राह्मणवादी पितृसत्ता' का नाम दिया गया है. इसका यह अर्थ नहीं कि इसका निशाना कोई एक जाति है. यह भारतीय समाज में व्याप्त स्त्री की पराधीनता के अलग-अलग रूपों को दर्शाता है.मेरी कोशिश नारीवाद को इसी भारतीय समाज के परिप्रेक्ष्य में समझने की और मौजूदा समस्याओं को इस आधार पर विश्लेषित करने की है."